मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद क्या शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह को केंद्र की राजनीति में उतारा जाएगा? बीजेपी के रणनीतिकारों की प्लानिंग पर गौर करें तो लगता कुछ ऐसा ही है। पार्टी की योजना पर गौर करें तो दोनों दिग्गज नेताओं को प्रदेश में विपक्ष का नेता बनाने के बजाय केंद्रीय राजनीति में लाने पर विचार किया जा रहा है। इसकी संभावना इसलिए भी ज्यादा नजर आ रही है क्योंकि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बयान में साफ कर दिया कि वो विधानसभा में विपक्ष के नेता नहीं बनेंगे। ऐसे में पार्टी सूत्रों का पूरा फोकस इस बात पर है कि एमपी और छत्तीसगढ़ के दोनों बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ाया जाए, ऐसा करने के पीछे पार्टी की बेहद खास प्लानिंग है।
कुर्सी जाने के बाद क्या दिल्ली आएंगे शिवराज और रमन सिंह
बीजेपी की रणनीति पर गौर करें तो उनका सीधा मकसद यही है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की लोकप्रियता का सीधा लाभ लोकसभा चुनाव में उठाया जाए। भले ही विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है लेकिन दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने प्रदेश में करीब 15 साल तक सरकारें चलाईं हैं। जनता के बीच उनकी पैठ का असर लोकसभा चुनाव में पार्टी जरूर भुनाना चाहेगी, इसीलिए ये माना जा रहा है कि दोनों दिग्गजों को लोकसभा का चुनाव में उतारा जाएगा। इससे पार्टी को दोनों राज्यों की कई सीटों पर फायदा मिल सकता है।